ई-संजीवनी- झारखंड में आदिवासी समुदायों के दरवाजों तक पहुंची स्वास्थ्य सेवाएं

by Manoj Choudhary

कुछ समय पहले तक झारखंड के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोग बीमार पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श तक नहीं ले पाते थे। इसका बड़ा कारण नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों का गांव से दूर होना और आने-जाने के लिए साधनों की कमी है। लेकिन अब ई-संजीवनी सर्विस गांवों के लोगों को उनके घर के आस-पास ही चिकित्सा परामर्श की सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है।

अंजलि झा बड़े प्यार से अपनी दो महीने की बेटी को मुस्कुराते हुए देख रही हैं। लेकिन आज जिस चेहरे पर मुस्कान नजर आ रही है, डेढ़ महीने पहले उसी चेहरे पर चिंता की लकीरे थीं। उनकी ये नन्ही सी बेटी काफी बीमार थी और जन्म के बाद से ही अपनी मां का दूध नहीं पी पा रही थी।

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के जेमको में रहने वाला ये परिवार हैरान और परेशान था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें। इस बारे में सलाह देने के लिए आस-पास कोई बाल रोग विशेषज्ञ भी नहीं था। उनका बच्चा भूख से पूरे दिन रोता रहता। उसे कुछ आराम मिल जाए इसके लिए बस घरेलू उपचार का सहारा था।

संयोग से, बच्ची की दादी सुनीता झा ने ई-संजीवनी के बारे में सुना था। ये सर्विस सुंदरनगर में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (HWC) में टेलीमेडिसिन सेवाएं दे रहा है। बच्ची को वहां ले जाया गया और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) नविता कुमारी की मदद से परिवार एक डॉक्टर से वर्चुअली जुड़ा। डाक्टर ने फोन से ही बच्चे की बीमारी के बारे में जाना और जरूरी दवाइयों के बारे में सलाह दी। बच्ची अब पूरी तरह से ठीक है और परिवार राहत की सांस ले रहा है।

सुनीता ने कहा कि वह टेली-मेडिसिन सेवा की बहुत एहसानमंद है। बच्ची की दादी ने गांव कनेक्शन को बताया, “बच्चे की मां उसे दूध नहीं पिला पा रही थी। लेकिन वेलनेस सेंटर जाने के बाद, सब ठीक हो गया। इस मुफ्त ऑनलाइन सेवा का बहुत-बहुत शुक्रिया, जिसने मेरी पोती के चेहरे पर मुस्कान ला दी।”

चिकित्सा सेवाओं को घर के करीब लाना

झारखंड के आदिवासी बहुल राज्य में अंजलि झा जैसे कई लोग अपने इलाज के लिए ई-संजीवनी का सहारा ले रहे हैं।

इस ऐप को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने दूर-दराज के इलाकों रहने वाले लोगों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑनलाइन चैटिंग के जरिए विशेषज्ञों से चिकित्सा परामर्श प्रदान करने के लिए शुरू किया है।

राज्य भर में दो मेडिकल कॉलेज और 230 से अधिक डॉक्टरों को इस सेवा से जोड़ा गया है। ट्रांसफॉर्मिंग रूरल इंडिया फाउंडेशन (TRIF), जमीनी स्तर पर काम करने वाला एक संगठन है, जो झारखंड में 1,100 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तकनीकी सेवाएं और प्रशिक्षण दे रहा है।

झारखंड में, अगस्त 2021 में इस योजना को शुरू किया गया था। तब से लेकर अब तक राज्य में तकरीबन 30000 से ज्यादा लोग एचडब्ल्यूसी मॉडल से परामर्श ले चुके हैं। हर एचडब्ल्यूसी में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को रोजाना कम से कम दो रोगियों का परामर्श देना होता है।

सुंदरनगर की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी नविता कुमारी ने गांव कनेक्शन से कहा, “जिन मरीजों को इलाज की जरूरत होती है, उन्हें उनके घर के नजदीकी केंद्र पर संबंधित डॉक्टरों से ई-संजीवनी ऐप के जरिए जोड़ा जाता है। इसके बाद वेलनेस सेंटर, ऐप पर डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाएं मरीज को उपलब्ध कराता है।” उन्होंने बताया कि इस इलाके में रह रहे तकरीबन 25,000 लोगों तक ये सुविधा पहुंचाने के लिए 19 आंगनवाड़ी हैं जो उनके अधिकार क्षेत्र में आती हैं।

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